उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट पर बीजेपी, सपा और बसपा में त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। पचास प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बाद भी संभल से सिर्फ एक मुस्लिम व्यक्ति ही दो बार चुनाव जीत सका है। बीजेपी भी सिर्फ एक बार मोदी लहर के चलते संभल से जीत हासिल कर पाई है। संभल में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होना है। सपा उम्मीदवार के विवादित बोल के कारण संभल की सीट मतदान से पहले चर्चा में है।

संभल की आधी आबादी मुस्लिम होने के बाद भी संभल से सफीकूर रहमान बर्क 2009 और 2019 में चुनाव जीते थे। 2009 में सफीकुर रहमान बसपा की टिकट पर कामयाब हुए थे। बाद में बर्क समाजवादी पार्टी में आ गए थे। 2024 के लिए भी सपा ने बर्क को ही उम्मीदवार बनाया था। लेकिन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उनका इंतकाल हो गया। सफीकुर रहमान बर्क कट्टर विचारों की नुमाइंदगी करते थे और अक्सर विवादो में रहते थे।

सफीकुर रहमान के इंतकाल के बाद सपा ने उनके पौत्र और कुंदरकी से विधायक जियाउर रहमान बर्क को टिकट दिया है। जियाउर भी परिवार की परंपरा का पालन करते हुए शहाबुद्दीन, अतीक और मुख्तार को अहिमामंडित कर विवाद में फस गए है।

2014 की मोदी लहर में बीजेपी के सत्यपाल सिंह सैनी ने बसपा के सफीकुर रहमान बर्क को हराया था। 2019 में सपा ने सफीकुर रहमान बर्क को संभल से उम्मीदवार बनाया। बर्क ने बीजेपी के सत्यपाल सैनी को करीब दो लाख वोट से हराया। बीजेपी ने इस बार परमेश्वर लाल सैनी पर दांव लगाया है। बसपा ने संभल से शौलत अली को मैदान में उतारा है। शौलत अली सपा के विधायक भी रहे है।

संभल में यादव आबादी दस प्रतिशत है। लेकिन एम वाई के चलते संभल से ज्यादातर यादव उम्मीदवार ही जीतते रहे है। संभल के लोगों ने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके भाई राम गोपाल यादव को भी लोकसभा में भेजा है। संभल को समाजवादी पार्टी का गढ़ भी माना जाता है। 

संभल को भले ही समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है, लेकिन डा सफीकुर रहमान बर्क और इकबाल महमूद के परिवार में  पिछले पांच दशक से चली आ रही राजनीतिक आदावत कई बार पार्टी को भारी पड़ चुकी है। 2009 में सपा ने इकबाल महमूद को टिकट दिया था। उस समय सफिकुर रहमान बर्क सपा के मुरादाबाद से सांसद थे। टिकट कटा तो बर्क बसपा से संभल का टिकट ले आए। बर्क चुनाव जीत गए और इकबाल महमूद को हार का सामना करना पड़ा। 2014 में बर्क सपा की टिकट पर चुनाव हारे तो उसका ठीकरा इकबाल के गुट पर फोड़ा गया। 2019 में भी गुटबाजी के चलते भीतरघात की कोशिश हुई, लेकिन सपा – बसपा गठबंधन के कारण बर्क को जीत मिली। 2024 में सपा की पहली लिस्ट में सफीकुर रहमान का नाम आया तो इकबाल महमूद ने तीखे तेवर दिखाए थे। नए उम्मीदवार जियाउर रहमान बर्क को विरासत में मिली इस अदावात का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पुराने कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक सलाहकार रहे आचार्य प्रमोद कृष्णन अब बीजेपी में आ चुके है। 19 फरवरी को एक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभल में कल्कि मंदिर का शिलान्यास किया था। शास्त्रों में उल्लेख है कि कलयुग में भगवान विष्णु का अगला कल्कि अवतार संभल में होगा। संभल में कल्कि मंदिर का निर्माण बड़े स्तर पर चल रहा है। प्रमोद कृष्णन कल्कि मंदिर के पीठाधीश है। बीजेपी हिंदुत्व की लहर के बल पर एक बार फिर संभल को फतह करने की कोशिश में है।

संभल में चल रहे संघर्ष को तीन विधायकों की लड़ाई माना जा रहा है। सपा के जियाउर रहमान मौजूदा विधायक है। बीजेपी के परमेश्वर सैनी और बसपा के शौलत अली पूर्व विधायक है। संभल के मतदाता जिसे भी चुनेंगे, उसका लोकसभा में  जाने का पहला ही अवसर होगा।