कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बाहुबली राजा भैया की मुलाकात की उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा हो रही है। इस मुलाकात से उत्तर प्रदेश की कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के साथ पूरे प्रदेश में बीजेपी का पलड़ा भारी होने की उम्मीद है। कौशांबी में 20 मई और प्रतापगढ़ में 25 मई को मतदान होगा।

राजा भैया ने 2018 में जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) का गठन किया था। पिछले पच्चीस सालों से कौशांबी और प्रतापगढ़ की राजनीति पर राजा भैया का एकछत्र राज है। 2022 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया ने कुंडा सीट सातवीं बार जीती थी। बाबागंज से उनकी पार्टी के विनोद सरोज ने विजय पाई थी। ये दोनों सीटे कौशांबी में आती है। लोकसभा चुनाव में राजा भैया ने अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए है और बीजेपी को समर्थन देने का एलान किया है। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने राज्यसभा चुनाव में भी बीजेपी को समर्थन दिया था। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी तारीफ करते रहे है।

तीसरे चरण के चुनाव प्रचार के बीच रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और अमित शाह की मुलाकात 4 मई की रात बंगलुरू के एक होटल में हुई। करीब एक घंटा तक चली इस मुलाकात के बारे में अधिकृत रूप में कुछ नहीं कहा गया है। माना जा रहा है कि मुलाकात में बेहतर समझ और तालमेल से काम करने पर बात हुई है। बीजेपी उत्तर प्रदेश की सभी अस्सी सीटों पर जीत दर्ज करने के इरादे से आगे बढ़ रही है। 

बता दे कि 2018 तक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया समाजवादी पार्टी के साथ थे। राजा भैया मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री भी रह चुके है। सपा और बसपा के गठबंधन के दौरान राजा भैया ने मायावती के उम्मीदवार का समर्थन करने से मना कर दिया था। मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने राजा भैया को जेल भिजवाया था। मायावती ने राजा भैया के महल और तालाब को खुदवा दिया था। अमित शाह और राजा भैया की मुलाकात को ठाकुरों के बीजेपी के प्रति गुस्से को कम करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि अमित शाह और राजा भैया में एक और मुलाकात जल्दी ही होगी। 

कयास लगाए जा रहे है कि यूपी में पहले दो चरण के मतदान में बीजेपी को ठाकुर मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा है।

कौशांबी से बीजेपी ने विनोद सोनकर को दोबारा मैदान में उतारा है। राजा भैया ने बीजेपी को समर्थन देने का पहले ही एलान कर दिया था। लेकिन कौशांबी को लेकर कुछ संचय बना हुआ था। सोनकर द्वारा कुछ मुद्दों पर राजा भैया का विरोध किया जा रहा था। राजा भैया कौशांबी से अपने मित्र और पूर्व सांसद शलैंद्र कुमार को चुनाव लड़ना चाहते थे। 

वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई कौशांबी लोकसभा सीट पर रौचक त्रिकोणा मुकाबला हो रहा है। बीजेपी उम्मीदवार विनोद सोनकर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में है। सपा ने पूर्व सांसद इंद्रजीत सरोज के पुत्र पुष्पेंद्र सरोज को टिकट दिया है। बसपा ने रिटायर्ड डीएसपी शुभ नारायण गौतम पर दांव लगाया है। कौशांबी में दलित मतदाताओं की संख्या अधिक है। रामायण और महाभारत में भी कौशांबी का जिक्र मिलता है। 

प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर बसपा ने बड़ा दांव चल बीजेपी को संकट में डाल दिया है। बसपा ने बीजेपी नेता शिव प्रसाद मिश्रा के बेटे प्रथमेश मिश्रा को टिकट दिया है। शिव प्रसाद मिश्रा और उनकी पत्नी सिंधुजा मिश्रा बीजेपी के सक्रिय नेता है। दोनो अतीत में कुंडा विधानसभा सीट से राजा भैया के खिलाफ बीजेपी की ओर से चुनाव भी लड़ चुके है। प्रथमेश मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते है। सपा ने डा एसपी सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने निवर्तमान सांसद संगम लाल गुप्ता पर फिर से दांव लगाया है। 2014 में प्रतापगढ़ से बीजेपी के सहयोगी अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह जीते थे। बीजेपी एक बार फिर प्रतापगढ़ की सीट निकलने की कोशिश में है।

अब की बार चार सौ पार और उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी एक एक सीट पर अपने समीकरण बैठाने में लगी है। देखना दिलचस्प होगा कि अमित शाह और राजा भैया की यह मुलाकात क्या रंग जमाती है।