उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। समाजवादी पार्टी  के प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी मैनपुरी का किला बचाने के लिए मैदान में है। बीजेपी ने योगी सरकार में पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और बसपा ने पूर्व विधायक शिवप्रसाद यादव को टिकट दिया है।

मैनपुरी को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। 1996 से लगातार मैनपुरी पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव 1996, 2004, 2009, 2014 और 2019 में मैनपुरी से जीत कर लोकसभा में पहुंचे थे। 1998 और 1999 में मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के बलराम सिंह यादव को सफलता मिली थी। 2014 के उप चुनाव में सपा के तेज प्रताप सिंह यादव जीते थे। 2022 में मुलायम सिंह यादव की मौत के बाद हुए उप चुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी।

सपा ने एक बार फिर अपनी खानदानी सीट पर डिंपल यादव को खड़ा किया है। उप चुनाव में पूरा सैफई परिवार डिंपल यादव के लिए प्रचार में जुटा था। लेकिन आम चुनाव में परिस्थिति बदली हुई है। सभी नेता अन्य सीटो पर व्यस्त है और डिंपल को अकेले ही जोर लगाना पड़ रहा है। डिंपल का पहरावा भी काफी सादा रहता है। काटन की हैंडलूम पर बनी साड़ी, ढीले से बांधे हुए बाल, माथे पर छोटी सी बिंदी और बिना गहने और हल्के मेकअप में डिंपल काफी आकर्षक लगती है। बड़ो से मिलते समय डिंपल सिर पर पल्लू लेना नहीं भूलती। वह पुराने रिश्तों की दुहाई देकर वोट मांग रही है। डिंपल का ज्यादा समय गैर यादव मतदाताओं से मिलने में गुजर रहा है। 

इधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार मैनपुरी का दौरा करके बीजेपी उम्मीदवार जयवीर सिंह को कामयाब करने की अपील कर रहे है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मैनपुरी में जयवीर सिंह के पक्ष में प्रचार कर चुके है। मैनपुरी में योगी आदित्यनाथ के रोड शो की कामयाबी ने सपा की नींद उड़ा दी है। ठाकुर जयवीर सिंह भी लगातार गांवों का दौरा कर रहे है। गांव चोबिया में जयवीर सिंह ने बैलगाड़ी पर अपने समर्थकों के साथ प्रचार किया। ग्रामीणों ने जयवीर सिंह के इस अनूठे प्रयास की सराहना की। जयवीर सिंह सपा को परिवारवादी पार्टी बताते हुए बीजेपी को वोट देने की अपील कर रहे है। वह हमेशा जनता के बीच रहने का भरोसा भी दे रहे है। जयवीर सिंह के अनुसार बीजेपी के राज में कोई माफिया किसी की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकेगा और बहन बेटियों की इज्जत भी सुरक्षित रहेगी। 

इस बार मैनपुरी में डिंपल यादव की जीत आसान नहीं है। सबसे पहले बसपा ने शिवप्रसाद सिंह यादव को टिकट देकर सपा के यादव वोट में सेंध लगाने की कोशिश की है। दूसरा नई पीढ़ी का मतदाताओं से वो जुड़ाव नहीं, जो मुलायम सिंह यादव का था। बीजेपी राम लहर पर सवार है जिसका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश में ही है। वोटर अखिलेश यादव के कल्याण सिंह के निधन पर न जाने और मुख्तार अंसारी की मौत पर जाने को भी देख रहे है। विपक्ष का सपा पर परिवारवाद का आरोप भी जनता को जम रहा है।

मैनपुरी में बीजेपी के लिए भी चुनौतियों की कमी नहीं है। लगातार दो लोकसभा चुनाव अच्छे बहुमत से जीतने के बाद भी बीजेपी मैनपुरी की सीट अभी तक नहीं जीत पाई है। 

मैनपुरी की करहल से अखिलेश यादव और जसवंतनगर से शिवपाल सिंह यादव विधायक है। हालांकि बीजेपी को इस बार मैनपुरी की दो विधानसभा सीटे जीतने में सफलता मिली है। यही कारण है कि चुनाव प्रचार के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मैनपुरी में लाया जा रहा है। 

मैनपुरी में यादव मतदाताओं की गिनती साढ़े तीन लाख है। ठाकुर डेढ़ लाख, ब्राह्मण सवा लाख और एक लाख चालीस हजार जाटव वोट है। एक एक लाख लोध, कुर्मी और मुस्लिम मतदाता भी है। साठ हजार शाक्य मतदाता भी मैनपुरी के नतीजों को प्रभावित करते है। हमेशा जात बिरादरी के नाम पर वोट करने वाली मैनपुरी में इस बार मोदी की गारंटी और मुलायम की विरासत के बीच जंग चल रही है। 

2019 के आम चुनाव में डिंपल यादव कन्नौज से हार गई थी। इस बार फिर से मैनपुरी में सैफई परिवार की इज्जत दांव पर लगी है। मैनपुरी में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा। चुनाव परिणाम आने तक राजनीतिक पंडितों की नज़र मैनपुरी पर लगी रहेगी।