मेरठ लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार अरुण गोविल के सामने विपक्षी गठबंधन से कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हो रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 मार्च को मेरठ से लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत की। यूपी में प्रचंड राम लहर के बीच रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल का जीतना तय माना जा रहा है।

1952 में मेरठ में जन्मे अरुण गोविल ने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।1975 में अरुण गोविल अपने भाई का कारोबार में सहयोग करने के लिए मुंबई चले गए। जल्दी उन्हें समझ आ गया कि उनकी सही जगह पर्दे पर है। 1977 में अरुण गोविल की पहली फिल्म पहेली आई। पहेली में अरुण की अदाकारी की निदेशक ताराचंद बड़ताज्या ने भी तारीफ की थी। अरुण की दो और फिल्मे सावन को आने दो और सांच को आंच नहीं आई।

 अरुण गोविल के केरियर को नए आयाम छोटे परदे ने दिए। 1987 में अरुण गोविल ने रामानंद सागर के धारावाहिक विक्रम बेताल में काम किया। लेकिन रामानंद सागर के धार्मिक धारावाहिक रामायण ने अरुण गोविल की ख्याति को घर घर तक पहुंचा दिया। 1980 में अरुण गोविल ने कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार भी किया था। 2021 में अरुण ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। अरुण गोविल की पत्नी श्रीलेखा पेशे से टेक्सटाइल डिजायनर है और उनके दो बच्चे है।

गंगा और यमुना के बीच बसे मेरठ का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी है। प्राचीन काल में मेरठ को मय राष्ट्र कहा जाता था। मय असुरों का राजा था जिसकी बेटी मंदोदरी थी। मंदोदरी की शादी असुर सम्राट रावण के साथ हुई थी। इसलिए मेरठ को रावण का ससुराल भी कहा जाता है। महाभारत में कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर थी जो वर्तमान में मेरठ जिले का हिस्सा है। 1857 की क्रांति का केंद्र रहे मेरठ को कौशल के लिए भी जाना जाता है। आज मेरठ की पहचान दुनिया भर में खेलों में प्रयोग होने वाले बेट, हाकी, राकेट और गेदों के लिए होती है।

अरुण गोविल मेरठ से टिकट मिलने को अपनी घर वापसी बताते है। अरुण गोविल ने कहा कि वे मेरठ में जन्मे और बड़े हुए है। अब वे यहां रह कर काम करेगे। उनकी जन्मभूमि ही उनकी कर्मभूमि बनेगी। अरुण गोविल ने कहा कि उनको कभी राम मंदिर बनने का विश्वास नहीं था। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनको लगा की अब सक्रिय राजनीति में आना चाहिए। 

मेरठ में बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने 2019 में जीत की हैट्रिक लगाई थी।हालाकि 2019 में सपा और बसपा के गठबंधन के कारण राजेंद्र अग्रवाल को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा था। राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को करीब पांच हजार मतों के अंतर से हराया था। मेरठ से सपा ने एडवोकेट भानु प्रताप सिंह और बसपा ने देवव्रत त्यागी को टिकट दिया है। लेकिन बीजेपी की और से अरुण गोविल को मैदान में उतारने के बाद विरोधी पार्टियों के गणित बदल गए है। समाजवादी पार्टी की और से भानु प्रताप का टिकट काटने  का मन बना लिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरठ से खास लगाव है। 31 मार्च को मोदी ने मेरठ से लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की शुरुआत की। मोदी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार की शुरुआत भी मेरठ से की थी। मेरठ की सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आती है। 2014 में बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 27 में 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 में बीजेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सिर्फ 19 सीट ही जीत पाई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुस्लिम मतदाताओं का खासा प्रभाव रहता है। आरएलडी से समझोता करके बीजेपी जाट वोटों में सेंध लगा चुकी है। मेरठ से अरुण गोविल की उम्मीदवारी आसपास की सीटों पर भी असर डाल सकती है।