कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए इस बार वायनाड की सीट पर मुश्किलें बढ़ती जा रही है। सीपीआई और बीजेपी ने राहुल गांधी के सामने मजबूत उम्मीदवार उतारे है। पिछले चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी भी वायनाड में पहुंच गई है। 

गांधी परिवार के लिए मुश्किल समय में दक्षिण भारत से चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है। इमरजेंसी के बाद 1977 में इंदिरा गांधी रायबरेली से जनता पार्टी के राज नारायण से चुनाव हार गई थी। तब वे नवंबर 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलुर से उप चुनाव जीत कर संसद में पहुंची थी। 1980 में भी इंदिरा गांधी ने लोकसभा का चुनाव अविभाजित आंध्र प्रदेश के मेढक से जीता था। 1999 में सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति में आने का फैंसला किया तो पहला चुनाव अमेठी के साथ कर्नाटक के वैलारी से लड़ी थी। सोनिया गांधी ने वेलारी से दिग्गज बीजेपी नेता सुषमा स्वराज को हराया था। सुषमा स्वराज विदेशी मूल के प्रश्न पर सोनिया गांधी का विरोध कर रही थी।

2014 की मोदी लहर में राहुल गांधी को अमेठी से बीजेपी की स्मृति ईरानी से कड़ी चुनौती मिली। 2019 में राहुल ने अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ा। राहुल को अमेठी में स्मृति ईरानी ने हरा दिया। लेकिन वायनाड से राहुल आसानी से जीत गए। इस चुनाव में राहुल ने सिर्फ वायनाड से चुनाव लड़ने का मन बनाया है। वायनाड से दोबारा जीतना राहुल के लिए मुश्किल होता जा रहा है।

सीपीआई ने राहुल गांधी के सामने अपनी कद्दावर महिला नेता एनी राजा को मैदान में उतारा है। एनी राजा सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी है। एनी राजा सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारणी की सदस्य भी है। बीजेपी ने वायनाड से केरल के प्रधान के सुरेंद्रन को टिकट दिया है। तीन कोने मुकाबले में राहुल गांधी के लिए परेशानी खड़ी हो रही है। 

पांच साल में सबसे बड़ा बदलाव यह कि बीजेपी की ताकत केरल में काफी बढ़ गई है। लेफ्ट के पास ले देकर पूरे देश में एक केरल ही बचा है। ऐसे में लेफ्ट नेता कांग्रेस के राहुल गांधी को स्पेस देने में असहज हो रहे है। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने वायनाड को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। पी विजयन लगातार वायनाड के दौरे कर रहे है। अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी भी वायनाड पहुंची हुई है। स्मृति ईरानी ने बीजेपी के उम्मीदवार के सुरेंद्रन के नामांकन पत्र दाखिल करने के मौके पर मौजूद रह कर हौंसला बढ़ाया।

राहुल गांधी ने तीन मार्च को अपनी बहन प्रियंका वाड्रा के साथ वायनाड से पर्चा दाखिल किया था। पर्चा भरने से पहले रोड शो निकाला गया। इस रोड शो में मुस्लिम लीग के हरे झंडे गायब होना भी वायनाड में मुद्दा बन गया है। रोड़ शो में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग समेत यूडीएफ की सभी पार्टियां शामिल थी। रोड़ शो में तिरंगा गुब्बारा और राहुल का पोस्टर लगा था। लेकिन आधे चांद तारे वाला मुस्लिम लीग का हरा झंडा गायब था। इसको लेकर लेफ्ट और बीजेपी द्वारा कांग्रेस पर हमले किए जा रहे है। इनका कहना है कि उत्तर भारत के हिन्दू मतदाताओं को ध्यान में रख कर हरे झंडे को छिपाया गया था।

वायनाड में चालीस प्रतिशत मुस्लिम और बीस प्रतिशत ईसाई मतदाता है। त्रिकोणी मुकाबले में कांग्रेस के समझे जाने वाले ये दोनो समुदाय बंट रहे है। इस स्थिति को किसी भी तरह राहुल गांधी के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा।