मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन रद्द होने से इंडिया एलायंस को झटका लगा है। प्रदेश बीजेपी के प्रधान विष्णु दत्त शर्मा खजुराहो से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे है। मीरा यादव का नामांकन रद्द होने के बाद बीजेपी और समाजवादी पार्टी में जुबानी जंग भी शुरू हो गई है।

मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से एक खजुराहो समाजवादी पार्टी के हिस्से आई थी। समाजवादी पार्टी ने पहले यहां से मनोज यादव को टिकट दिया था। लेकिन मनोज यादव को कमजोर उम्मीदवार माना जा रहा था। कांग्रेस भी मनोज यादव की उम्मीदवारी का विरोध कर रही थी। बाद में समाजवादी पार्टी ने मीरा यादव को टिकट देने की घोषणा कर दी। मीरा यादव यूपी के झांसी जिले से संबंध रखती है। मीरा यादव के पति दीपनारायण यादव दो बार यूपी विधान सभा के सदस्य रह चुके है। मीरा यादव भी 2008 में मध्य प्रदेश की निवाड़ी सीट से विधायक रह चुकी है।

मीरा यादव ने 4 अप्रैल को धूमधाम से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रधान जीतू पटवारी और राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा भी मौजूद थे। पांच अप्रैल को जांच के समय पन्ना के जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेश कुमार मिश्रा ने नामांकन रद्द कर दिया। बताया गया है कि नामांकन पत्र पर एक जगह उम्मीदवार के हस्ताक्षर नहीं थे। इसके अलावा मतदाता सूची की प्रमाणित प्रति भी पुरानी थी। इसके बाद बीजेपी के प्रदेश प्रधान विष्णु दत्त शर्मा की राह आसान हो गई है। शर्मा खजुराहो से सिटिंग एमपी है। 

मीरा यादव का नामांकन रद्द होने के बाद मध्य प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे है। मीरा यादव के पति दीपनारायण यादव ने बताया कि नामांकन जमा करते समय निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह फार्म की जांच करे। यदि कोई कमी पाई जाती है तो उसे मौके पर ही ठीक करवा लिया जाता है। वोटर सूची की प्रमाणित प्रति के लिए भी आवेदन किया गया था। लेकिन समय पर प्रति उपलब्ध नहीं करवाई गई। मीरा यादव ने इस मामले को हाई कोर्ट में लेकर जाने की धमकी दी है। 

नामांकन रद्द होने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और बीजेपी में जुबानी जंग भी शुरू हो गई है। अखिलेश यादव ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है। उन्होंने कहा कि खजुराहो की घटना हारती हुई बीजेपी की हताशा की निशानी है। अखिलेश ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की। मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने कहा कि खजुराहो सीट पर विपक्ष का रवैया उनकी समझ से परे है। उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन अधिकारी ने पूरी प्रक्रिया का संचालन निष्पक्षता से किया है। डा यादव ने कहा कि पहले इस सीट पर कांग्रेस ने दावा किया था। फिर समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। लेकिन स्थिति को देख कर लगता है कि विपक्ष यहां से चुनाव लड़ना ही नहीं चाहता था।