राजस्थान के चुरू लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के राहुल कासवान और बीजेपी के देवेंद्र झांझरिया में रोचक मुकाबला हो रहा है। मुरुस्थल का सिंहद्वार कहे जाने वाले  चुरू में जाट उम्मीदवार ही जीतता रहा है। सिंचाई, रोजगार और संपर्क की समस्या से दो चार होने के बाद भी चुरू के मतदाता जात, बिरादरी और पार्टी को देख कर ही वोट करते है। 

चुरू लोकसभा क्षेत्र का गठन 1977 में हुआ था। चुरू, सादुलपुर, तारानगर, सरदार शहर, रतनगढ़, सुजावलगढ़ के अलावा हनुमानगढ़ जिले के नोहर और भादरा विधानसभा क्षेत्र भी चुरू लोकसभा में शामिल है। चुरू की स्थापना 1620 में चुहरू जाट ने की थी। मरुस्थल का सिंहद्वार कहे जाने वाले चुरू की मुख्य समस्या पीने का पानी, सिंचाई, रेल और सड़क परिवहन है। लेकिन चुरू की जनता हमेशा जात और पार्टी देख कर ही वोट करती है।

चुरू को बीजेपी और कासवान परिवार का गढ़ माना जाता है। राहुल कासवान ने पिछले दो लोकसभा चुनाव बीजेपी की टिकट पर जीते थे। इससे पहले राहुल के पिता राम सिंह कासवान तीन बार चुरू से सांसद चुने गए थे। राम सिंह कासवान चुरू से विधायक भी रह चुके है। राहुल की माता कमला कासवान भी सादुलपुर से बीजेपी की विधायक रह चुकी है।

लेकिन इस बार कहानी में खासा ट्विस्ट है। 

बीजेपी ने राहुल का टिकट काट कर दो बार पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र झांझरिया को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी। चुरू में खिलाड़ियों को सम्मान की नजर से देखा जाता है। लेकिन कासवान परिवार ने देवेंद्र के सम्मान को अपने अपमान की तरह देखा। देवेंद्र की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद राहुल ने सोसल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बीजेपी से इस्तीफा देने का एलान कर दिया। बाद में राहुल ने एक्स पर ही कांग्रेस में जाने की सूचना दी। कांग्रेस ने मौके पर चौका मारते हुए राहुल कासवान को अपना उम्मीदवार बना दिया।

राहुल कासवान का कहना है कि बीजेपी ने उसके काम की कद्र नहीं की। राहुल ने आरोप लगाया कि उसकी टिकट किसी व्यक्ति विशेष के कहने पर काटी गई है। राहुल शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, रेल और सड़क परिवहन के विकास के लिए काम करना चाहते है। देवेंद्र झांझरिया बीजेपी के इस कदम के नवाचार की संज्ञा देते है। देवेंद्र के अनुसार पार्टी ने एक किसान के बेटे और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी का टिकट देकर मान बढ़ाया है। देवेंद्र के एजेंडे में चुरू के पर्यटन स्थलों का विकास करके सैर सपाटे को बढ़ावा देना भी है। देवेंद्र शेखावाटी के खिलाड़ियों को सुविधाएं देने, तारा नगर को रेल नेटवर्क से जोड़ने और कुटीर उद्योगों को उत्साहित करने की बात भी कहते है।

चुरू में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी है। 1820 में बीकानेर की राजा रतन सिंह द्वारा बनवाया गया रतनगढ़ किला देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है। काले हिरणों के लिए मशहूर लाल छापर की सेंचुरी भी चुरू में है। सुराणा हवेली, कोठरी हवेली और कन्हैया लाल का बंगला की शिल्प कला और चित्रकारी के लिए भी चुरू को जाना जाता है। हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र सालासर धाम भी चुरू में है। नाथ साधुओं का अखाड़ा और करनी माता का मंदिर भी चुरू में है।

चुरू में पीने के पानी की बड़ी समस्या है। पानी में फ्लोराइड होने के कारण लोगो की सेहत पर बुरा असर होता है। लेकिन चुरू में कभी मतदान किसी समस्या या मुद्दे पर नहीं होता। चुरू के मतदाताओं पर हमेशा जात बिरादरी और पार्टी पॉलिटिक्स हावी रहती है। इस बार राजस्थान में बीजेपी की भयंकर लहर चल रही है। ऐसे में बीजेपी से बगावत कासवान परिवार के राजनीतिक भविष्य पर बुरा असर डाल सकती है।