बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। यहां एनडीए की बीमा भारती, इंडिया एलायंस के संतोष कुशवाहा और आजाद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव में त्रिकोना मुकाबला हो रहा है। नौबत यहां खुद जीतने की बजाए दूसरे को हराने तक पहुंच गई है। तेजस्वी यादव ने भरी सभा में पप्पू यादव की जगह एनडीए के संतोष कुशवाहा को वोट देने की अपील करके सभी को हैरानी में डाल दिया।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और बाहुबली पप्पू यादव की पुरानी अदावत है। विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने सभी 243 सीटों पर प्रचार किया था। लेकिन सिर्फ एक सीट मधेपुरा में कैंप किया था। मधेपुरा से पप्पू यादव चुनाव लड़ रहे थे। पूर्णिया में महागठबंधन के कई नेता डेरा डाल कर बैठे है। लेकिन तेजस्वी ने यहां कैंप किया, कई रैलियों को संबोधित किया और रोड़ शो भी किए। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि पूर्णिया तेजस्वी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। पूर्णिया में तेजस्वी के लिए अपनी जीत से ज्यादा पप्पू की हार जरूरी हो गई है।

पप्पू यादव की कहानी भी दिलचस्प है। पप्पू ने पूर्णिया से चुनाव लड़ने के लिए अपनी जान अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था। लेकिन समझौते में पूर्णिया की सीट आरजेडी के खाते में चली गई। हार कर पप्पू यादव को आजाद मैदान में आना पड़ा। पप्पू यादव प्रणाम पूर्णिया अभियान के जरिए अपनी सियासी जमीन की तलाश में लगे है। पप्पू यादव पहले ही लालू यादव पर अपनी राजनीतिक हत्या कराने की कोशिश के आरोप लगा चुके है। पप्पू यादव का कहना है कि वह पिछले एक साल से पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। पप्पू यादव ने यह भी दावा किया है कि उसे लालू यादव ने मधेपुरा से लोक सभा का चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था।

तेजस्वी यादव के स्टैंड के बाद पूर्णिया उन सीटों में शामिल हो गया है, जहां इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला हो रहा है। एनडीए को उम्मीद है कि बंदरों की इस लड़ाई में उसका फायदा होगा और जेडीयू के संतोष कुशवाहा तीसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहेंगे। संतोष कुशवाहा का दावा है कि पूरे बिहार में एक तरफा मोदी लहर चल रही है। पूर्णिया की जनता को समय न देने के आरोप से घिरे संतोष कुशवाहा राष्ट्रवाद, मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने और नीतीश कुमार के हाथ मजबूत करने के नाम पर चुनाव लड़ रहे है। 

पूर्णिया में सत्तर प्रतिशत हिंदू और तीस प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। आरजेडी का पूरा गणित एम यानी मुस्लिम और वाई यानी यादव पर टिका है। पप्पू यादव आरजेडी के इस वोट बैंक में सैंघ लगाने की क्षमता रखते है। पूर्णिया से आरजेडी की बीमा भारती रौपोली से पांच बार जेडीयू की विधायक रही है। बीमा भारती अति पिछड़ा वर्ग से आती है। पूर्णिया में अति पिछड़ा वर्ग का ज्यादा वोट नहीं है। ऐसे में बीमा भारती का पूरा दारोमदार एम वाई पर है। पप्पू यादव को उम्मीद है कि कांग्रेस के वोट उसकी झोली में जायेगे। इसलिए पूर्णिया में मुकाबला पप्पू यादव और संतोष कुशवाहा के बीच माना जा रहा है।

पप्पू यादव खुद को कांग्रेसी बता रहे है। पप्पू का कहना है कि 26 अप्रैल को मतदान के बाद दूसरी सीटों पर कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे। बहुत से लोग पप्पू यादव को भविष्य में कांग्रेस के बड़े नेता के रूप देख रहे है। पूर्णिया से दस साल बीजेपी के पप्पू सिंह और दस साल जेडीयू के संतोष कुशवाहा सांसद रहे है। बीस साल से पूर्णिया के यादव और मुस्लिम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। इसलिए यादव और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव पप्पू यादव की ओर है।

इसके अलावा पप्पू यादव ने पटना की बाढ़ और करोना के समय लोगों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम किया है। इससे पप्पू यादव की बाहुबली की छवि परमार्जित होकर जननायक की बन गई है। पप्पू यादव की लोकप्रियता का आलम यह कि जिस जनसभा में तेजस्वी पप्पू को वोट न देने की अपील कर रहे थे, उसी जनसभा में लोग पप्पू यादव जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।

पप्पू यादव ने 2014 का लोकसभा का चुनाव मधेपुरा से बिहार के दिग्गज नेता शरद यादव को हरा कर जीता था। पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन भी राजनीति में सक्रिय है। पप्पू यादव का बेटा सार्थक रंजन क्रिकेटर है और दिल्ली की ओर से खेलता है। मनमोहन सिंह सरकार के समय पप्पू यादव को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी ने 40 सीटो पर चुनाव लड़ा था। लेकिन कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी। पप्पू यादव की राजनीति की शुरुआत 1990 में सिंहेश्वर विधानसभा हल्के से आजाद चुनाव जीत कर हुई थी। 1991 में पप्पू पहली बार पूर्णिया से जीत कर लोकसभा में पहुंचे। 1996 और 1999 में भी पूर्णिया की जनता ने पप्पू यादव को लोकसभा में भेजा। 2004 और 2014 में पप्पू यादव मधेपुरा से लोकसभा के लिए चुने गए। 

तेजस्वी यादव और पप्पू यादव की लड़ाई ने पूर्णिया को बिहार की सबसे हॉट सीट बना दिया है।