राजस्थान के बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से आजाद उम्मीदवार रविंद्र सिंह भट्टी ने सब को हिला डाला है। कोई उसे रेतीला तूफान कहता है। कोई उसे राजपूतों का सचिन पायलट बताता है। बीजेपी ने रविंद्र भट्टी को रोकने के लिए पहलवान खली द ग्रेट को भी बुलाया। लेकिन रविंद्र भट्टी की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं हुआ। सख्त त्रिकोणी मुकाबले के गवाह बने बाड़मेर में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है।

26 साल के राजपूत नेता रविंद्र सिंह भट्टी ने अपने चुनावी सफर की शुरुआत 2019 में जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र संघ से की। भट्टी ने एबीवीपी से चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी। मंजूरी नहीं मिली तो आजाद प्रधान पद पर जीत हासिल कर ली। 2023 में शिव विधानसभा सीट से बीजेपी का टिकट मांगा। टिकट नहीं मिला तो आजाद चुनाव जीत कर विधान सभा में पहुंच गए। अब लोकसभा चुनाव में रविंद्र भट्टी ने बीजेपी से टिकट मांगा। टिकट नहीं मिला तो आजाद चुनाव में उतर कर सभी को हिला डाला।

रविंद्र सिंह भट्टी की लोकप्रियता का आलम यह कि उसकी जनसभाओं में मोदी मोदी की तर्ज पर भट्टी भट्टी के नारे लगते है। लोग कहते है भट्टी दिल्ली जायेगा लाल बत्ती लायेगा। कोई भट्टी को रेतीला तूफान बताता है। कोई भट्टी को राजपूतों का सचिन पायलट कहता है। लेकिन रविंद्र भट्टी इन सब उपमाओं से खुश नहीं होते। वह कहते है मैं रविंद्र भट्टी हूं और रविंद्र भट्टी ही ठीक हूं। पूरे बाड़मेर में भट्टी की तस्वीरों वाले बोर्ड लगे है। 17 अप्रैल को भट्टी के रोड शो की रौनक देखने लायक थी। तपती दोपहर में सड़क के दोनो तरफ भारी गिनती में स्त्री, पुरुष, युवा और बच्चे जमा थे।

बीजेपी ने बाड़मेर से दो बार के सांसद और कैलाश चौधरी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने उम्मेद राम बेनीवाल को टिकट दिया है। ये दोनो उम्मीदवार जाट बिरादरी से संबंध रखते है। रविंद्र भट्टी अकेले राजपूत उम्मीदवार है। कांग्रेस को उम्मीद है कि रविंद्र भट्टी बीजेपी को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। यही कारण है कि बीजेपी अपने राजपूत नेताओ को बाड़मेर भेज रही है। इसी नजरिए से पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह को भी फिर से बीजेपी में शामिल किया गया है। 

बाड़मेर में कुल मतदाताओं की गिनती 22 लाख है। बाड़मेर देश का दूसरा सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। बाड़मेर में सबसे बड़ी समस्या पीने और सिंचाई के पानी की कमी है। बाड़मेर का पाकिस्तान के साथ लंबा बार्डर लगता है। सड़को और रेल नेटवर्क की भी कमी है। आजादी के बाद से ही बाड़मेर को विद्रोहियों, राज घरानों और पूर्व सैनिकों के चुनाव लड़ने के लिए जाना जाता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बाड़मेर की आठ में से पांच बीजेपी ने जीती थी। दो आजाद के खाते में गई तो एक पर कांग्रेस को कामयाबी मिली थी।

हाट सीट बाड़मेर में बीजेपी के कैलाश चौधरी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसभा कर चुके है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा बाड़मेर का लगातार दौरा कर रहे है। 20 अप्रैल को देर रात तक भजन लाल शर्मा ने अलग अलग समुदायों के लोगो से अकेले में बात की। 21 अप्रैल को भजन लाल शर्मा जसोल के रानी भटियानी मंदिर और नाकोड़ा के पार्श्वनाथ भैरव मंदिर में दर्शन कर बाड़मेर से कामयाबी की कामना की। यह मुख्यमंत्री शर्मा का चौथा बाड़मेर दौरा था। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेद राम बेनीवाल के पक्ष में सक्रिय है। 

बाड़मेर में रविंद्र सिंह भट्टी का मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने पहलवान दलीप सिंह राणा उर्फ खली द ग्रेट को भी मैदान में उतारा। कैलाश चौधरी के लिए प्रचार करते हुए खली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम कर तारीफ की। उन्होंने कैलाश चौधरी को वोट देकर तीसरी बार मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की अपील की। बीजेपी की और से सन्नी देओल और कंगना राणावत को लाने की भी बात की जा रही है। 24 अप्रैल की शाम बाड़मेर में प्रचार का शोर थम जाएगा।

24 अप्रैल को जात पंचायत भी होने जा रही है जिसमे बाड़मेर में समर्थन का निर्णय लिया जाएगा। बाड़मेर में सबसे ज्यादा साढ़े चार लाख जाट मतदाता है। माना जा रहा है कि इस बार जाट बीजेपी के कैलाश चौधरी से नाराज है। आजाद उम्मीदवार भट्टी के लिए भी जाट बिरादरी का समर्थन काफी मायने रखता है। पंचायत के बाद बाड़मेर की तस्वीर कुछ साफ होने की उम्मीद की जा रही है।

बाड़मेर में मुकाबला इतना फंसा है कि सट्टा बाजार में तीनों उम्मीदवारों का बराबर भाव चल रहा है। पंटरो का कहना है कि बाड़मेर में कुछ भी हो सकता है।