बिहार की सिवान लोकसभा सीट आरजेडी के लिए परेशानी का सबब बन गई है। बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब ने आजाद चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। पूर्णिया में पप्पू यादव को नाराज करने के बाद लालू यादव हीना को नाराज नहीं करना चाहते थे। हीना के न मानने के बाद आरजेडी ने अवध बिहारी चौधरी को टिकट देने का निर्णय लिया है।

हीना शहाब ने 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव आरजेडी की टिकट पर लड़ा था। लेकिन हीना को कामयाबी नहीं मिल सकी। पता चला है कि इस बार तेजस्वी यादव सिवान से किसी अन्य उम्मीदवार को मैदान में उतारना चाहते थे। इस बात की खबर लगते ही हीना शहाब ने आजाद मैदान में आने का एलान कर दिया। हीना अपने स्तर पर जन संपर्क और प्रचार में भी लगी है। हीना ने हाल ही में पूर्णिया में कांग्रेस से बागी पप्पू यादव को समर्थन देने की घोषणा की थी। 

बिहार की चालीस लोकसभा सीटो में 26 आरजेडी के हिस्से आई है। तीन सीटे आरजेडी ने अपने कोटे से वीआईपी पार्टी को दे दी है। आरजेडी ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। सिर्फ सिवान पर ही हीना शहाब को मनाने का प्रयास किया जा रहा था। अब अवध बिहारी चौधरी ने लालू यादव और तेजस्वी यादव के साथ एक फोटो शेयर की है। इस फोटो में तेजस्वी एक पीला लिफाफा दे रहे है। माना जा रहा है कि लिफाफे में आरजेडी का टिकट है। 

सिवान को बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन का गढ़ माना जाता है। शहाबुद्दीन ने 1996, 1998, 1999 और 2004 में सिवान लोकसभा से आरजेडी की टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2009 और 2014 में सिवान से हीना शहाब को कृष्ण यादव ने हराया था। 2009 में कृष्ण यादव आजाद जीते थे और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2019 में हीना को जनता दल यूनाइटेड की कविता सिंह ने हराया था। 

मोहम्मद शहाबुद्दीन की 2021 में नई दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में करोना से मौत हो गई थी। उसके बाद ही हीना शहाब और आरजेडी में दूरियां बढ़ने लगी थी। कभी अपने को आरजेडी का सिपाही कहने वाली हीना अब खुद को न्यूट्रल बता रही है। हीना का कहना है कि वह अपने पति के सिद्धांतऑ के अनुरूप अपनी बात पर अडिग रहेगी। शहाबुद्दीन की मौत के बाद हीना ने अपने ही दम पर परिवार और बच्चो को संभाला था। गठबंधन की सरकार के दौरान भी उसके बेटे को मुश्किल का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं हीना को आरजेडी के कार्यक्रमों से भी दूर रखा जाने लगा। इसके चलते हीना और लालू परिवार की दूरियां खाई में तब्दील हो गई।

एनडीए की और से जेडीयू ने विजय लक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा गया है। हीना शहाब के आजाद लड़ने से मुकाबला त्रिकोण हो गया है। सिवान में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी गिनती है। आरजेडी का वोट बैंक मुख्य रूप से मुस्लिम और यादव है। हीना के मैदान में आने से आरजेडी के मुस्लिम वोट में सैंध लग सकती है। पप्पू यादव से संपर्क का फायदा हीना शहाब को मिलेगा। ओवैसी की एआईएमआईएम भी हीना को समर्थन कर रही है। हीना की मजबूती का सीधा फायदा जेडीयूं की विजय लक्ष्मी कुशवाहा को मिल सकता है। 

आजादी के बाद सिवान को पहले राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद की जन्म स्थली के रूप में देखा गया। लेकिन बाद में कुख्यात ठग नटवर लाल के लिए सिवान मशहूर रहा। 1996 में डा जनार्दन तिवारी को हरा कर बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सिवान को देश में शोहरत दिलाई। सिवान के लोग बड़ी गिनती में गल्फ में रोजगार के लिए गए है। इसीलिए सिवान को डालर सीट भी कहा जाता है। विदेश से आने वाले पैसे का असर यहाँ की राजनीति पर भी साफ दिखाई देता है। ढाई लाख मुस्लिम और डेढ़ लाख कुशवाहा मतदाताओं वाले सिवान में इस बार रोचक तिकोना मुकाबला देखने को मिल सकता है।