कांग्रेस की ओर से चंडीगढ़ लोकसभा सीट से मनीष तिवारी को मैदान में उतारने के बाद स्थिति कुछ साफ हुई है। बीजेपी पहले ही संजय टंडन को टिकट देने का एलान कर चुकी है। कांग्रेस ने चार बार के सांसद पवन कुमार बंसल की जगह मनीष तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ में कांग्रेस के समर्थन में अपना उम्मीदवार न खड़ा करने का निर्णय लिया है। 

चंडीगढ़ से कांग्रेस की टिकट के लिए तीन नाम थे। मनीष तिवारी के अलावा पवन कुमार बंसल और चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रधान हरमोहिंदर सिंह लक्की भी टिकट के चाहवान थे। 75 साल के पवन बंसल चार बार चंडीगढ़ से चुन कर लोकसभा में पहुंचे थे। मनमोहन सिंह की सरकार में पवन बंसल रेल मंत्री भी रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने अनुभवी पवन बंसल और युवा हरमोहिंदर लक्की की जगह मनीष तिवारी को मौका देना उचित समझा।

मनीष तिवारी भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है। दिलचस्प है कि हर बार मनीष तिवारी का नया हल्का होता है।सबसे पहले उनको 2004 में लुधियाना से कांग्रेस का टिकट मिला था। 2009 में मनीष तिवारी पहली बार लुधियाना से जीत कर लोकसभा में पहुंचने में कामयाब हुए। वे लुधियाना से जीतने वाले पहले सहजधारी थे। उनको मनमोहन सिंह केबिनेट में सूचना एवम प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई थी। 2014 की मोदी लहर के समय मनीष तिवारी ने स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। 2019 में भी मनीष तिवारी चंडीगढ़ से टिकट चाहते थे। लेकिन उनको आनंदपुर साहिब भेजा गया। मनीष तिवारी ने अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा को हरा कर सीट निकल ली थी। 

मनीष तिवारी का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। उसके पिता विश्वनाथ तिवारी पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। उनकी माता अमृता तिवारी पीजीआई में दांतो की डाक्टर थी। डा अमृता तिवारी चंडीगढ़ में काउंसलर भी रही है। प्रो तिवारी राज्यसभा के सदस्य थे। 1984 में सैक्टर 24 में सुबह की सैर के दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी। मनीष तिवारी के नाना सरदार तीर्थ सिंह पंजाब में मंत्री थे।

बीजेपी ने भी दो बार की सांसद किरण खैर की जगह चंडीगढ़ के पूर्व प्रधान संजय टंडन को मैदान में उतारा है। संजय टंडन का नाता पंजाब के पुराने राजनीतिक घराने से है। उसके पिता बलराम जी दास टंडन पंजाब में जनसंघ के समय से सक्रिय कार्यकर्ता थे। बलराम जी प्रकाश सिंह बादल की सरकार में मंत्री भी रहे थे। उनको छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में काम करने का भी अवसर मिला था। संजय टंडन पिछले चालीस साल से चंडीगढ़ की राजनीति से जुड़े रहे है। संजय टंडन ने चंडीगढ़ के विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का यकीन दिलाया है। संजय टंडन का चुनावी राजनीति में उतरने का यह पहला अवसर है।

आम आदमी पार्टी ने इंडिया एलायंस के चलते चंडीगढ़ में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है। अकाली डाल ने अभी चंडीगढ़ से अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है। चंडीगढ़ में एक जून को मतदान होना है।