क्या लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव होने जा रहे है। यह प्रश्न जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के लोकसभा चुनाव से हटने के बाद पूछा जा रहा है। गुलाम नबी ने हाल ही में कांग्रेस से अलग होकर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी का गठन किया है।

आजाद पार्टी ने गुलाम नबी आजाद को अनंतनाग लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की थी। आजाद का मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के दिग्गज नेता मियां अल्ताफ अहमद और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से होना था। 2 अप्रैल को गुलाम नबी के चुनाव लड़ने की घोषणा आजाद पार्टी की कार्यसमिति ने की थी। पार्टी के प्रवक्ता सलमान नियाजी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इसकी सूचना दी थी। लेकिन 18 अप्रैल को गुलाम नबी ने चुनाव न लड़ने का निर्णय ले लिया।

गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर की राजनीति के पुराने खिलाड़ी है। उनको प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार में मंत्री के तौर पर काम करने का अनुभव है। लेकिन राहुल गांधी के साथ मतभेद के चलते गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ दी थी। राज्यसभा से रिटायरमेंट के समय गुलाम नबी आजाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भावुक संवाद हुआ था। उसके बाद माना जा रहा है कि मोदी और आजाद के बीच कुछ राजनीतिक समझ बनी है।

अब अनंतनाग में मुकाबला इंडिया एलायंस के दो घटक दलों पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच रह गया है। नेशनल कांफ्रेंस के उप प्रधान उमर अब्बदुला ने गुलाम नबी के इस कदम को बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाला बताया। बीजेपी ने अभी अनंतनाग से उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी जम्मू कश्मीर में कमल खिलाने की जल्दी में नहीं है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने अनंतनाग से मोहम्मद सलीम पारे को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। आजाद पार्टी के प्रदेश प्रधान मोहम्मद अमीन भट्ट ने कहा कि गुलाम नबी ने अपने चुनाव न लड़ने के कुछ कारण बताए है। लेकिन इनको सार्वजनिक नहीं किया गया।

कयास लगाए जा रहे है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव करवा सकती है। बीजेपी गुलाम नबी आजाद को जम्मू कश्मीर का मुख्य; मंत्री बनाना चाहती है। माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान की सलाह पर ही गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा चुनाव से हटने का निर्णय लिया है।