हरियाणा की राजनीति के तीन लाल देश भर में मशहूर थे देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल । तीनो के वारिस भी राजनीति में सक्रिय रहे है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बंसी लाल और भजन लाल के परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा। देवी लाल के परिवार के सदस्य जरूर हिसार लोकसभा से चुनाव मैदान में है। लेकिन आपसी झगड़े के चलते चौटाला परिवार भी अपनी पूरी राजनीतिक पूंजी खर्च कर चुका है।

बंसी लाल स्वतंत्रता सैनानी और कांग्रेस नेता थे। उनका जन्म भिवानी जिले में हुआ था। बंसी लाल चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। 1975 में एमरजेंसी के दौरान बंसी लाल पर हरियाणा में धक्केशाही करने के आरोप लगे थे। बंसी लाल को इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में भी काम करने का भी मौका मिला। 1996 में बंसी लाल ने हरियाणा विकास मंच की स्थापना की और बीजेपी के साथ मिल कर सरकार चलाई। बंसी लाल को को एक कुशल प्रशासक और हरियाणा के विकास का पुरोधा माना जाता है।

बंसी लाल के बेटे सुरेंद्र सिंह भी राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने 1996 totoमें भिवानी लोकसभा सीट से जीत हासिल की।इससे पहले 1986 से 1992 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। दो बार सुरेंद्र सिंह तोशाम से हरियाणा विधानसभा के सदस्य भी चुने गए। एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सुरेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। इसके बाद हुए उप चुनाव में तोशाम से सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी को विजय मिली। तोशाम से बंसी लाल भी चुनाव जीतते रहे थे। किरण चौधरी का नाम भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार के दौरान फर्जी पौधे लगाने के घोटाले के कारण चर्चा में रहा था। किरण चौधरी आजकल कांग्रेस से नाराजगी के चलते चर्चा में है। कांग्रेस ने किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का भिवानी से टिकट काट कर राव दान सिंह को दे दिया है।

भजन लाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उनको राजीव गांधी की सरकार में कृषि और वन मंत्री के रूप में काम करने का मौका भी मिला। भजन लाल की पत्नी जसमा देवी, पुत्र कुलदीप बिश्नोई चंद्र मोहन और पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई राजनीति में सक्रिय रहे है। 2007 में भजन लाल ने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया और हिसार से लोकसभा के लिए चुने गए। भजन लाल की मौत के बाद 2011 में हुए उप चुनाव में हिसार से कुलदीप विश्नोई की जीत हुई। कुलदीप चार बार आदमपुर से विधायक भी रहे है। कुलदीप विश्नोई की पत्नी रेणुका भी आदमपुर से विधायक रह चुकी है।

चंद्र मोहन हरियाणा के उप मुख्यमंत्री रह चुके है। कुलदीप विश्नोई ने अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस का बीजेपी में विलय कर दिया था। चंद्र मोहन कांग्रेस में बने हुए है। कुलदीप और चंद्रमोहन को टिकट मिलने की चर्चा थी। टिकट न मिलने से नाराज कुलदीप बिश्नोई को मनाने के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी मिलने भी पहुंचे है।

हरियाणा की राजनीति में ताऊ के जाने जाते थे देवी लाल। देवी लाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और दो बार उप प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने इंडियन नेशनल लोकदल की स्थापना की। देवी लाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला, रंजीत चौटाला, पोते अजय चौटाला और अभय चौटाला राजनीति में सक्रिय है। देवी लाल के पड़पौत्र दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला और अर्जुन चौटाला भी राजनीति में है।

भरे पूरे चौटाला परिवार के सदस्य हरियाणा की अलग अलग सीटों से लोकसभा में जाते रहे है। लेकिन इस बार हिसार से चौटाला परिवार के तीन सदस्य किस्मत आजमा रहे है। बीजेपी ने देवी लाल के पुत्र रंजीत चौटाला को टिकट दिया है। इंडियन नेशनल लोकदल ने सुनैना चौटाला को खड़ा किया है। लोकदल से अलग हुई जेजेपी ने नैना चौटाला पर दांव लगाया है। तीन जाट उम्मीदवारों के बीच कांग्रेस ने अंतिम समय में चौथे जाट जय प्रकाश को मैदान में उतारा है। जय प्रकाश सात बार हिसार से चुनाव लड़ कर तीन बार जीते है। हिसार में मुकाबला रंजीत चौटाला और जयप्रकाश में होगा।

हरियाणा के तीन लाल परिवार अपने पतन के लिए एक जैसे कारण रखते है। बंसी लाल और भजन लाल ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टियां बनाई। बंसी लाल की हरियाणा विकास पार्टी बाद में कांग्रेस में मिल गई। कुलदीप विश्नोई ने हरियाणा जनहित कांग्रेस का बीजेपी में विलय किया। कुलदीप और चंद्र मोहन के अलग अलग होने का भी परिवार की पकड़ पर बुरा असर पड़ा। देवी लाल के पोते अजय चौटाला और अभय चौटाला की लड़ाई में इंडियन नेशनल लोकदल का बंटवारा कर दिया। अजय चौटाला की जेजेपी ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी से मिल कर सरकार चलाई। अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला मुख्यमंत्री भी रहे। अब बीजेपी की तरह जेजेपी को भी हरियाणा के गांवों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इससे यह भी पता चलता है हरियाणा में भी परिवारवाद की राजनीति का युग जा रहा है।