हैदराबाद की मुस्लिम बहुल सीट से इस बार मुखर मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी का विकेट गिर सकता है।बीजेपी ने सामाजिक कार्यकर्ता डा के माधवी लता को मैदान में उतार कर ओवैसी को शह दे दी है। यदि बीजेपी हैदराबाद के हिंदू वोटर का ध्रुवीकरण करने में कामयाब हो गई तो नतीजे चौंकाने वाले आ सकते है।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद की लोकसभा सीट को ओवैसी परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है। सुलतान सलाहुद्दीन ओवैसी ने 1984 से 1999 तक हैदराबाद से छह लोकसभा चुनाव जीते थे। 2004 से 2019 के बीच असद्दुदीन ओवैसी भी हैदराबाद से लोकसभा के चार चुनाव जीत चुके है। इस तरह पिछले दस लोकसभा चुनाव में हैदराबाद की सीट पर आओबेसी बाप बेटे का ही कब्जा रहा है।

बीजेपी ने इस बार ओवैसी के सामने सामाजिक कार्यकर्ता माधवी लता को टिकट देने की घोषणा की है। एक निजी हस्पताल की प्रमुख डा माधवी भारत नाट्यम की मंझी हुई डांसर भी है।लोक भलाई के कामों में सक्रिय भागीदारी के चलते हैदराबाद में डा माधवी की अलग पहचान है। माधवी लता का हैदराबाद की मुस्लिम महिलाओं में भी अच्छा प्रभाव है। तीन तलाक के खिलाफ माधवी लता मुस्लिम महिला संगठनों के साथ मिल कर आवाज उठाती रही है।जरूरतमंद मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए भी माधवी लता सक्रिय रहती है।

हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी ही हमेशा ओवैसी को टक्कर देती रही है। लेकिन बीआरएस, कांग्रेस या टीडीपी ने कभी ओवैसी के सामने कड़ी चुनौती पेश करने की कोशिश नहीं की है।

एआईएमआईएम भी सत्ता के साथ अपनी वफादारी बदलती रही है। आंध्र प्रदेश के विभाजन से पहले औवेसी की पार्टी कांग्रेस के करीब थी। तेलंगाना के गठन के बाद टीआरएस पावर में आई तो एआईएमआईएम ने उधर का रुख कर लिया। पिछले साल विधानसभा चुनाव में सत्ता बदलने के बाद ओवैसी बंधु एक बार फिर से कांग्रेस के साथ गलबहियां डालते देखे जा रहे है।इस क्रम में छोटे औवेसी अकबरुद्दीन की लंदन में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंथ राव से मुलाकात भी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

इस बीच कांग्रेस ने हैदराबाद से सुप्रीम कोर्ट की वकील शहनाज तब्बसुम को टिकट देने की घोषणा की है। लेकिन राजनीति के जानकर शहनाज की उम्मीदवारी को औवेसी के हक में ही मान रहे है।

पिछले दो लोकसभा चुनाव असद्दुदीन ओवैसी ने पचास प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करके जीते थे। दोनों चुनाव में ओवैसी ने बीजेपी के डा भगवंत राव को दो लाख से ज्यादा मतों से हराया था। लेकिन इस बीच हैदराबाद को दो हिस्सों में बांटने वाली मुसी नदी के पुलों से काफी पानी बह चुका है। कर्नाटक के बाद दक्षिण भारत में तेलंगाना में बीजेपी का ग्राफ सबसे ज्यादा तेजी से ऊपर जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तेलंगाना की 17 में से चार सीटों पर कामयाबी मिली थी। 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में बीजेपी को मिली अभूतपूर्व सफलता भी ओवैसी के लिए खतरे का अलार्म बजा रही है।

150 पार्षदों वाली हैदराबाद नगर निगम में 2020 में बीजेपी ने सीधे एक से 44 की छलांग लगाई थी। नगर निगम में बहुमत हासिल करने के बाद भी बीआरएस को 44 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। बीआरएस 99 से घट कर 55 पर सिमट गई थी। एआईएमआईएम हैदराबाद नगर निगम में अपने पार्षदों की टेली 44 को बरकरार रखने में सफल रही थी। लेकिन बीआरएस के हिंदू वोटर को साथ लेकर बीजेपी अपने पार्षदों की गिनती एआईएमआईएम के बराबर ले आई थी। अगर हैदराबाद नगर निगम की तर्ज पर डा माधवी लता बीआरएस और कांग्रेस के हिंदू मतों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष में करने में कामयाब हुई तो औवेसी को मिली शह के मात में। बदलने में देर नहीं लगेगी।

एआईएमआईएम को रजाकारों की पार्टी माना जाता है। रजाकार हैदराबाद के। भारत में विलय के खिलाफ थे। आज भी रजाकार हैदराबाद के भारत में विलय के दिन को काला दिवस के रूप में मनाते है। एआईएमआईएम अपने को बाबर और ओरंगजेब की विरासत से जोड़ कर देखती है। दूसरी तरफ बीजेपी हैदराबाद को भाग्यनगर साम्राज्य का हिस्सा मानती है। हैदराबाद जाने वाला हरेक बीजेपी नेता चार मीनार के नीचे स्थित भाग्य लक्ष्मी के मंदिर में पूजा अर्चना करना नहीं भूलता।

बीजेपी की उम्मीदवार डा माधवी लता की बाड़ी लेंग्वेज उनके आत्मविश्वास को साफ दिखा रही है। माधवी लता अपने विरोधी असद्दुदीन ओवैसी पर तीखे हमले कर रही है। एक न्यूज चैनल से बात करते हुई माधवी लता ने साउथ इंडियन फिल्मों के अंदाज में कहा कि औवेसी बुरी तरह से हिल चुके है। इसीलिए औवेसी की भाषा भी बदल गई है। माधवी लता ने कहा कि पंद्रह मिनट पुलिस हटाने की बात करने वाले औवेसी अब प्यार और शांति की बात करने लगे है। आने वाले दिनों में इस प्रतिष्ठा की सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है।