हैदराबाद से बीजेपी की तेज तर्रार उम्मीदवार माधवी लता ने एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की रातों की नींद हराम कर दी है। माधवी लता की मुखर आवाज की गूंज ने हैदराबाद को देश की सबसे हॉट सीट बना दिया है। माधवी लता ने दावा किया है कि हैदराबाद से ओवैसी डेढ़ लाख मतों के अंतर से हारेगे। दूसरी तरफ हमेशा बड़े बोल बोलने वाले ओवैसी खामोश है।

पहली बार चुनाव मैदान में उतरने वाली माधवी लता बहुआयामी प्रतिभा की धनी है। शास्त्रीय नृत्य में पारंगत माधवी लता मुखर वक्ता भी है। देश भर के टीवी चैनलों पर माधवी लता की आवाज गूंज रही है। इंडिया टीवी के कार्यक्रम आप की अदालत पर माधवी लता का इंटरव्यू इतना धाकड़ था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक चुनावी सभा में इस इंटरव्यू का जिक्र किया और सभी से इस इंटरव्यू को देखने के लिए कहा। माधवी लता कहती है कि अभी तक ओवैसी फर्जी वोटो के दम पर चुनाव जीतते रहे है। माधवी लता का दावा है कि इस बार हैदराबाद के सभी 2000 बूथों पर बीजेपी के कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे और ओवैसी को धांधली का मोका नहीं मिलेगा। माधवी लता यह भी दावा कर रही है कि इस बार ओवैसी हैदराबाद से डेढ़ लाख वोट से हारने वाले है।

असदुद्दीन ओवैसी और माधवी लता की राजनीति में बुनियादी अंतर है। ओवैसी की पूरी राजनीति हिंदू से नफरत पर आधारित है। माधवी लता हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बन कर उभरी है। तीन तलाक के मुद्दे पर मुखर रहने वाली माधवी लता ने अब मुताह निकाह का प्रश्न भी उठा दिया है। मुताह निकाह एक तरह से वेश्यावृति ही है जिसमे कम उम्र की मुस्लिम लड़कियों का अरब के शेख सौदा करते है। हैदराबाद मुताह निकाह का सबसे बड़ा केंद्र है। 

मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाली माधवी लता हिंदू और मुस्लिम में बराबर लोकप्रिय है। माधवी लता मुस्लिम बस्तियों में जाकर पूछती है कि चालीस साल ओवैसी परिवार को वोट देकर उनको क्या मिला। माधवी लता मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक कर रही है। माधवी लता ओवैसी के समर्थन से चलने वाले भू माफिया किंग्स ग्रुप पर भी हमलावर है। हैदराबाद में मतदान 13 मई को है और 24 अप्रैल को माधवी लता अपना नामांकन पत्र दाखिल करेगी।

पिछले चालीस साल से हैदराबाद लोकसभा सीट पर ओवैसी परिवार का लगातार कब्जा है। कांग्रेस आखरी बार हैदराबाद से 1980 में जीती थी। 1984 से 2004 तक सुलतान सलाहुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद से छह चुनाव जीते थे। 2004

 से 2024 तक असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद से चार चुनाव जीते है। ऐसा नहीं है कि कभी ओवैसी के सामने बड़े उम्मीदवार मैदान में न उतरे हो। 1996 में बीजेपी ने दक्षिण भारत के अपने सबसे बड़े नेता एम वेंटकैहा नायडू को टिकट दिया था। 2009 में तेलगु देशम पार्टी ने उर्दू दैनिक के संपादक जाहिद अली को मौका दिया था। मजलिस बचाओ तहरीक ( एमबीटी ) भी हैदराबाद में एआईएमआईएम का विरोध करती रही है। एमबीटी के संस्थापक अमानुलाह खान और उनके बेटे मजीद उलाह खान ने भी ओवैसी को मात देने की कोशिश की। पर कांग्रेस और बीआरएस ने हमेशा एआईएमआईएम पर हल्का हाथ ही रखा है। 

इस बार भी कांग्रेस ओवैसी को लेकर अजब गफलत में है। पिछले दस सालों से पूरे देश में घूम घूम कर ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताने वाली कांग्रेस हैदराबाद में अब ओवैसी को समर्थन देने जा रही है। हैदराबाद के कांग्रेस नेता फैज खान ने कहा कि पार्टी ओवैसी के साथ तीन सीटो पर समझौते की कोशिश कर रही है। फैज खान ने हैदराबाद से अपनी उम्मीदवारी की संभावना से मना कर दिया। बीआरएस ने श्रीनिवास यादव को हैदराबाद से मैदान में उतारा है। 2009 को छोड़ कर बीजेपी ने हमेशा अपना दूसरा स्थान बरकरार रखा है। 2009 में टीडीपी के जाहिद अली दूसरे स्थान पर रहे थे। यदि हिन्दू मतदाताओं का विभाजन रोका जा सका  तो 2024 में बीजेपी की माधवी लता नया इतिहास लिख सकती है।