महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर ननद और भाभी में दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पंवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मैदान में उतारा है। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने भी ताल ठोक दी है। मजेदार बात यह कि शरद पवार की राजनीतिक विरासत की इस जंग में एक आजाद उम्मीदवार कूद गया है जिसका नाम भी शायद पवार है। बारामती में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होना है।

महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार की राजनीतिक विरासत की जंग चल रही है। शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते है। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार अपने को असली वारिस साबित करने में लगे है। विधानसभा में शरद पवार की पार्टी एनसीपी के विभाजन के समय अजीत पवार का पलड़ा भारी रहा था। चुनाव आयोग ने अजीत पवार की एनसीपी को असली माना था। अजीत पवार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बनने में भी कामयाब रहे थे। शरद पवार के खास बारामती में विरासत की जंग का अगला हिस्सा देखने को मिलेगा।

18 अप्रैल को दोनो सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पंवार ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए। महाविकास अघाडी की ओर से पर्चा दाखिल करने आई सुप्रिया सुले के साथ डा अमोल कोल्हे और अजीत पवार के भतीजे योगिंद्र पवार मौजूद थे। दूसरी तरफ महायुति नाम के गठबंधन ने शरद पवार के बारामती किले को ढहाने की कसम उठा रखी है। सुनेत्रा पवार के नामांकन दाखिल करने के समय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी मुख्यमंत्री अजीत पवार, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और रिपब्लिकन पार्टी के रामनाथ अठावले उपस्थित थे। महायुति ने एक जनसभा को भी संबोधित किया। सभा में देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार को बारामती के विकास का जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि बारामती में लड़ाई नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच है।

चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार 1984 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर बारामती से चुन कर लोकसभा में पहुंचे थे। 1991 में अजीत पवार बारामती से कांग्रेस की ओर से चुने गए। 1991 के उप चुनाव में शरद पवार फिर से बारामती से चुनाव जीता। शरद पवार 1996 और 1998, का चुनाव बारामती से कांग्रेस की टिकट पर जीत कर संसद में गए। 1999 में शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया। 1999 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी शरद पवार ने बारामती से जीता। इस बीच शरद पवार पी वी नरसिंह राव की सरकार में रक्षा मंत्री और मनमोहन सिंह की सरकार में कृषि मंत्री भी रहे। पिछले तीन चुनाव बारामती से सुप्रिया सुले जीत रही है।

मजेदार बात यह है कि शरद पवार की समृद्ध राजनीतिक विरासत की लड़ाई में एक आजाद उम्मीदवार भी कूद गया है जिसका अपना नाम शरद पवार है। पेशे से आटो रिक्शा चालक शरद पवार ने अपना नाम।कान जमा कर दिया है। शरद पवार गिग वर्कर फ्रंट के सदस्य है। फ्रंट द्वारा महाराष्ट्र की अन्य लोकसभा सीटो से भी अपने उम्मीदवार खड़े किए जा रहे है। ऑटो चालक शरद पवार अपना आदर्श राजनीतिज्ञ शरद पवार को मानते है। 1988 में उसकी दादी ने उसका नाम शरद पवार रखा था। उस समय शरद पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। 36 साल के शरद पवार ने बताया कि उनकी कही सुनवाई नहीं होती। वर्कर की समस्याओं को सामने लाने के लिए ही उसे चुनाव लड़ना पड़ा है।

विधानसभा में सत्ता की जंग हारने के बाद बारामती लोकसभा का चुनाव शरद पवार के लिए एक परीक्षा की तरह है। पिछले 35 साल से बारामती पर एकछत्र राज कर रहे शरद पवार के लिए यह एक मुश्किल समय है।