बिहार के सिवान लोकसभा क्षेत्र से आजाद उम्मीदवार और बाहुबली सहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब इन दिनों किसी दार्शनिक की तरह बरताव कर रही है। चुनाव प्रचार के दौरान उनके बुर्के पर माता की सुर्ख रंग की चुनरी होती है और उनके समर्थक पीले रंग का पटका पहने रहते है। हीना शहाब सभी धर्मों और रंगो को अपना बता रही है। हीना के इस अंदाज की मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। कयास लगाए जा रहे है कि चुनाव के बाद हीना एनडीए में शामिल हो सकती है।

सिवान में 25 मई को मतदान होना है। आरजेडी अवध बिहारी चौधरी और जेडीयू ने विजय लक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा है। 1990 में राजनीति में कदम रखने के बाद शहाबुद्दीन ने दो बार विधायक और चार बार सांसद का चुनाव जीता था। तेजाब कांड में सजा मिलने के बाद शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई थी। हीना ने आरजेडी की टिकट पर सिवान लोकसभा सीट से तीन चुनाव लडे है। इस बार हीना आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरी है।

हीना शहाब कहती है कि लोग टुकड़ों में विभाजित है। मैने सबको एक करने के ठानी है। सभी रंग एक है। सभी धर्मों के लोग उनके साथ है। सिवान की जनता उसकी मालिक है। सिवान की जनता जिस तरफ जायेगी, हीना भी उसी तरफ जायेगी। इससे पहले हीना ने काली माता मंदिर में लाल चुनरी भी ओढ़ी थी। जनसंपर्क अभियान और चुनावी रैली के समय हीना के समर्थक भगवा गमछा डाले दिखाई देते है। आरजेडी से नाराज हीना के चुनाव के बाद एनडीए के साथ जाने के अनुमान लगाए जा रहे है। 

सिवान लोकसभा क्षेत्र के लिए नामांकन दाखिल करने का काम शुरू हो चुका है। आरजेडी उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी ने 30 अप्रैल को अपना पर्चा दाखिल किया। उनके साथ विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी थे। इसके विपरित हीना शहाब ने सादे ढंग से अपना नामांकन दाखिल किया। हीना अपने नया किला स्थित मकान से निकली और नामांकन के दो सेट जमा करवाए। इससे पहले हीना ने गजराज को अपने घर बुलाया। सनातन परंपरा के अनुसार गजराज को केले और लड्डू का भोग लगाया। नामांकन के समय भी हीना के साथी पीला गमछा पहने थे। नामांकन के समय हीना का बेटा ओसामा गायब था। 

पहले सिवान को वामपंथ का गढ़ माना जाता था। लेकिन अपनी राबिन हुड वाली छवि के चलते मोहम्मद शहाबुद्दीन ने इस किले को तोड़ा। शहाबुद्दीन ने 1996 से 2000 के बीच सिवान से लोकसभा के चार चुनाव जीते। इससे पहले शहाबुद्दीन जीरादेई से आजाद विधायक भी चुने गए थे। हीना ने 2009, 2014 और 2019 में आरजेडी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा। इस बार आजाद उम्मीदवार की हैसियत से मैदान में उतरी है। सिवान से ओम प्रकाश यादव सिवान से आजाद चुनाव जीत चुके है। बाद में ओम प्रकाश बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

माना जा रहा है कि तीन बार की हार से हीना शहाब ने सबक लिया है। हीना को साफ समझ आ गया है कि किसी एक समुदाय के बल पर चुनाव नहीं जीता जा सकता। हीना की नजर बीजेपी और आरजेडी के वोट पर है। चुनाव के बाद लालू यादव के साथ जाने से हीना मना कर रही है। एनडीए में जाने से हीना को परहेज नहीं है। किसी मंझे हुए नेता की तरह वह कहती है हीना उधर जायेगी, जिधर सिवान की जनता चाहेगी। हीना सभी को साथ लेकर सिवान के विकास की बात कह रही है। हीना के इस नए अंदाज से महागठबंधन की नींद उड़ गई है। जिस एम वाई के बल पर लालू यादव ने वर्षो तक बिहार की राजनीति पर अपना प्रभाव रखा, उसके एक मुख्य किरदार शहाबुद्दीन थे। सिवान में तीन लाख मुस्लिम और इतने ही यादव वोट है, जो किसी भी उम्मीदवार की किस्मत बदलने की क्षमता रखते है। 

हैरानी की बात है कि हीना शहाब को वह गणित समझ आ गया है, जिसे समझने में देश भर की गैर बीजेपी पार्टियां और नेता असमर्थ रहे है। देखना है कि सनातनी रंग हीना शहाब की चुनावी वैतरणी पार लगा पाता है या नहीं।