पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाली रवनीत सिंह बिट्टू की बीजेपी में एंट्री का क्या अकाली दल से गठबंधन से कोई संबंध है। यह प्रश्न पंजाब के राजनीतिक हलकों में शिद्दत से पूछा जा रहा है। लुधियाना से लोकसभा के सदस्य रवनीत सिंह बिट्टू पहले भी कई बार कांग्रेस के स्टैंड के खिलाफ बोलते रहे है। रवनीत सिंह बिट्टू के बाद पंजाब के कुछ और नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

 रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते है। बेअंत सिंह की आतंकवाद के दौर में हत्या कर दी गई थी। 2009 में रवनीत बिट्टू पहली बार आनंदपुर साहिब लोकसभा क्षेत्र से जीत कर दिल्ली पहुंचे थे। पिछले दो चुनाव रवनीत बिट्टू ने लुधियाना से जीते थे। इस बीच उन्हें कुछ महीने तक अधीर रंजन चौधरी की गैर मौजूदगी में लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम करने का मौका मिला। रवनीत बिट्टू को पंजाब की राजनीति में युवा तुर्क की नजर से देखा जाता है।

 लाख टके का सवाल यह कि क्या बीजेपी अकाली गठबंधन और रवनीत बिट्टू के पाला बदलने में कोई संबंध है। 26 मार्च को सुबह पंजाब बीजेपी के प्रधान सुनील जाखड़ ने चंडीगढ़ में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की और कुछ घंटों बाद रवनीत बिट्टू ने दिल्ली में बीजेपी में शामिल होने का एलान कर दिया।

 दरअसल रवनीत बिट्टू की गिनती राष्ट्रवादी सिखों में होती है। अपने दादा बेअंत सिंह की मौत का दर्द उनके सीने में दफन है। राष्ट्रवादी पंजाबी बेअंत सिंह को पंजाब का शेर मानते है।बेअंत सिंह के शासन में ही पंजाब में आतंकवाद खत्म हुआ था। इसके विपरित अकाली बेअंत सिंह को पंजाब का कातिल कह कर बुलाते है। शहीद बेअंत सिंह के हत्यारों के साथ अकाली दल का नरमी वाला व्यवहार भी रवनीत बिट्टू को अच्छा नहीं लगता था। रवनीत बिट्टू को आजकल कांग्रेस भी अकाली दल की राह पर चलती दिखाई दे रही थी।

 रवनीत सिंह बिट्टू के बीजेपी में जाने की घोषणा के बाद पंजाब की राजनीति में भूचाल आ गया। सबसे तीखी प्रतिक्रिया पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ने दी। बाजवा ने दावा किया कि पार्टी के सर्वे में बिट्टू लुधियाना से दो लाख वोटों से हार रहे थे। बाजवा ने तंज करते हुए कहा कि बिट्टू को पार्टी ने लॉर्ड डलहौजी से भी ज्यादा सुविधा दे रखी थी। पूर्व हाकी खिलाड़ी और जालंधर से विधायक प्रगट सिंह ने रवनीत सिंह बिट्टू पर अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों के फोन न उठाने के आरोप लगाए। आम आदमी पार्टी भी बिट्टू के इस कदम की निंदा कर रही है।

 रवनीत सिंह बिट्टू के बाद पंजाब के कई अन्य नेताओं के बीजेपी में जाने की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। पंजाब की सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा करके बीजेपी ने पंजाब के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है।